नागरिकों में कर्तव्य की भावना के विकास से बढ़ती आबादी की समस्या अब बनेगी विकसित भारत की प्रेरक शक्ति।

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 नागरिकों में कर्तव्य की भावना के विकास से बढ़ती आबादी की समस्या अब बनेगी विकसित भारत की प्रेरक शक्ति।



पंच प्रण के सिद्धांत के माध्यम से विकसित भारत का स्वप्न सच होने पर अपने विचार साझा कर रहे है युवा लेखक अमन कुमार…


बागपत। हाल ही में यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड द्वारा वैश्विक जनसंख्या के संबंध में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार भारत अब चीन को पछाड़ते हुए विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है। जहां इंटरनेट मीडिया पर इस विषय पर विभिन्न लोग और दिग्गज अपनी अपनी राय साझा कर रहे है, वहीं कुछ विचारक और विशेषज्ञ इसे भारत के लिए एक महान अवसर बता रहे है और इसकी संभावनाओं की ओर सभी का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे है जो इस वक्त बेहद आवश्यक हो गया है।


जहां इस मुद्दे पर जारी वाद विवाद और चर्चाओं में जनसंख्या में वृद्धि के मुद्दे पर चिन्ता या भय फैलाने वाले वृतान्तों को साझा किया जा रहा है, वहीं भारत सरकार पूर्व से ही अपनी रणनीतियों में आवश्यक बदलाव कर चुका है जिसका ट्रेलर आजादी के 75 साल के जश्न में भी देखने को मिला जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले के प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए पंच प्रण का सिद्धांत देशवासियों को दिया जिसमें अगले 25 साल की यात्रा को देश के लिए ‘‘अत्यंत महत्वपूर्ण’’ करार दिया और इस ‘‘अमृत काल’’ में विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता व नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्य पालन के ‘‘पंच प्रण’’ का आह्वान किया। 


*1. विकसित भारत

प्रधानमंत्री मोदी के ‘पंच प्रण’ में पहला बड़ा संकल्प है- विकसित भारत। अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा। छोटे-छोटे संकल्प का अब समय नहीं है। आने वाले 25 वर्षों में हमें किसी भी कीमत पर विकसित भारत चाहिए, उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए। स्वच्छता अभियान, कोरोना वैक्सीनेशन अभियान, ढाई करोड़ लोगों को बिजली कनेक्शन, खुले में शौच से मुक्ति, रिन्यूअल एनर्जी, इन सभी मानकों पर बड़े संकल्प से आगे बढ़ रहे हैं। इन्हीं सभी बड़ी चीज़ों ने भारत के विकसित देश की नींव डाली है।


*2. गुलामी से मुक्ति*

‘पंच प्रण’ में दूसरा संकल्प ‘गुलामी से मुक्ति’ है। उन्होंने अपने संबोधन में भी कहा है कि हमारे मन के भीतर किसी भी कोने में गुलामी का एक भी अंश न बचा रहे। यदि जरा भी गुलामी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। उसे उखाड़ फेंकना है। सैकड़ों सालों की गुलामी ने जो हमें जकड़कर रखा है, हमें उससे 100 फीसदी मुक्ति पानी ही होगी। क्योंकि गुलामी किसी भी देश को दीमक की तरह धीरे-धीरे खा जाती है, जिसका लंबे समय बाद पता चलता है।


*3. विरासत पर गर्व*

हमे अब अपने देश की विरासत पर गर्व होना चाहिए। हमें अपने सामर्थ्य पर भरोसा होना चाहिए। इसी विरासत ने भारत को कभी स्वर्ण काल दिया था। हमें अपनी पारिवारिक व्यवस्था पर भी गर्व करना है। हमारी विरासत को दुनिया सराह रही है। भारत की जीवनशैली से दुनिया प्रभावित है। सबके सुख और सबके आरोग्य की बात करना हमारी विरासत की प्राथमिकता है। हम वे लोग हैं जो जीव में शिव देखते हैं। हमें दुनिया से किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं। देश को अपना एक मानक बनाना होगा। हम अपनी धरती से जुड़ेंगे, तभी ऊंचा उड़ेंगे। ग्लोवल वार्मिंग के हल के लिए दुनिया भारत की ओर देख रही है। हमारे पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है। भारत के पास अनमोल क्षमता है। हमारा अनुभव कहता है कि एक बार अगर हम सब संकल्प लेकर पथ पर चल पड़ें तो हम निश्चित ही निर्धारित लक्ष्यों को कैसे भी पार कर लेते हैं।


*4. एकता और एकजुटता*

हमें अपनी देश की विविधता को बड़े उल्लास से मनाना चाहिए। लैंगिक समानता, फर्स्ट भारत, देश के श्रमिकों का सम्मान इसी कड़ी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। देश में नारी का अपमान एक प्रमुख विकृति है, जिससे निजात पाने का रास्ता हर हाल में खोजना ही होगा। जब हम अपनी धरती से जुड़ेगे, तभी हम ऊंची उड़ान भरेंगे तभी विश्व को समाधान दे पाएंगे। क्योंकि किसी देश की सबसे बड़ी ताक़त उस देश की एकता और एकजुटता में लीन होती है। अगर ये न हों तो देश के पतन की शुरुआत होने लगती है।


*5. नागरिकों का कर्तव्य*

नागरिकों का कर्तव्य देश और समाज की प्रगति का रास्ता तैयार करता है। यह मूलभूत प्रणशक्ति है। देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति भी इससे बाहर नहीं हैं। बिजली की बचत, खेतों में मिलने वाले पानी का पूरा इस्तेमाल, केमिकल मुक्त खेती, हर कीमत पर भ्रष्टाचार से दूरी आदि हर क्षेत्र में नागरिकों की जिम्मेदारी और भूमिका बनती है। किसी देश का प्रत्येक नागरिक अगर अपना कर्तव्य निष्ठा पूर्वक निभाने लगे तो देश हमेशा मजबूती से खड़ा रहता है और हर क्षेत्र में आगे बढ़ता रहता है। आने वाले 25 वर्ष के लिए हमें भी उन पंच प्रण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा। हमें पंच प्रण को लेकर वर्ष 2047 तक चलना है, जब आजादी के 100 वर्ष पूरे होंगे। हमें आजादी के दिवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा।


जी 20 की अध्यक्षता कर रहे भारत की वर्तमान स्थिति को देखने पर यह भी स्पष्ट है कि आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। समस्याओं का समाधान दुनिया भारत की धरती पर खोजने लगी है। विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 वर्ष की हमारी यात्रा का परिणाम है। इस ‘पंच प्रण’ के माध्यम से आने वाले 25 वर्षों का एक बेहतरीन ब्लू प्रिंट तैयार कर दिया गया है, जो अगर सफलतापूर्वक पूरा हो जाए तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा देश एक विकाशसील देश से एक विकसित देश के रूप में स्थापित हो जाएगा। निश्चित ही पंच प्रण का सिद्धांत विकसित भारत के स्वपन को साकार करने का मंत्र है जिसको अपनाने से भारत अमृतकाल में कई बड़े बदलावों का अनुभव करेगा और कुशल प्रशासक के नेतृत्व में युवा शक्ति के प्रयासों से एवं जनभागीदारी से विकसित राष्ट्र बनेगा। 


आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाने वाले भारतेंदु हरिश्चंद्र ने भारतवर्षोन्नति की उन्नति कैसे हो सकती है विषय पर लिखा है कि हमारे हिन्दुस्तानी लोग तो रेल की गाड़ी हैं। यद्धपि फर्स्ट क्लास, सेकेण्ड क्लास आदि गाड़ी बहुत अच्छी-अच्छी और बड़े-बड़े महसूल की इस ट्रेन में लगी हैं पर बिना इंजन सब नहीं चल सकती, वैसे ही हिन्दुस्तानी लोगों को कोई चलाने वाला हो तो क्या नहीं कर सकते। निश्चित ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में कुशल प्रशासक अब भारत का नेतृत्व कर रहा है जिसके अनुपम प्रयासों में अब भागीदार बनकर अपनी देशभक्ति दिखा सकते है और विश्वकोष में जनसंख्या की परिभाषा को बदलकर विश्व को मानव संपदा में निवेश का सकारात्मक परिणाम दिखा सकते है।


*लेखक के बारे में:* अमन कुमार, उड़ान युवा मंडल ट्यौढी के अध्यक्ष और प्रोजेक्ट कॉन्टेस्ट 360 के फाउंडर है। उड़ान युवा मंडल के अंतर्गत अमन, युवा सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों के विषय में जागृति पैदा करने के साथ साथ राष्ट्रीय कार्यक्रमों के क्रियान्वन में भी अग्रणी है। उनके विचार एवं प्रयासों को विभिन्न संस्थाओं ने सराहा है और उनको शिक्षा रत्न, यंग ट्रांसफॉर्मर्स, रिस्पॉन्सिबल सिटीजन सहित विभिन्न उपाधियों से नवाजा है। हाल ही में टेक्नोलॉजी के माध्यम से सामाजिक बदलाव के उनके प्रयासों के अंतर्गत संचालित प्रोजेक्ट कॉन्टेस्ट 360 ने मात्र 18 महीनों में 70 लाख से अधिक लोगों तक पहुंचने का कीर्तिमान स्थापित किया है।

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