बागपत। जहां देश अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे कर रहा है वहीं हमारा देश अब महिलाओं के लिए असफल हो गया है। भारत में दहेज को गैर कानूनी घोषित हुए 60 सालों से भी ज्यादा हो गए। दहेज के लिए परेशान करना या पैसे मांगना अपराध है लेकिन इसके बावजूद आए दिन दहेज की मांग पूरी न करने पर प्रताड़ना, शोषण और हत्या की खबरें सामने आती रहती है। वहीं सब कुछ जानते हुए भी परिजन सोचते है कि एक बार शादी हो गई तो उन्हें अपने परिवार की इज्जत बनाए रखने के लिए अपने ससुराल में ही रहना चाहिए. अगर उनकी फिर से कहीं और शादी करा देते और वहां हालात और खराब हो जाते, तब सबकी नाक कट जायेगी।
ऐसा ही एक मामला है बागपत जनपद की ग्राम निवाड़ा की बेटी नजराना पुत्री शौकीन का जिनका निकाह मोहसिन से ( जून 2020) को हुआ था। निकाह के समय तक सब कुछ ठीक था लेकिन उसके बाद लड़के पक्ष के लोगों ने नजराना को दहेज के लिए शोषित करना शुरू कर दिया। शुरुआत में अपने परिवार की गरीबी को देखते हुए नजराना ने खुद ही स्थिति को संभालने का प्रयास किया और किसी को इस दिन प्रतिदिन के शोषण के बारे में नहीं बताया लेकिन जब असहनीय शोषण होने लगा और उनको समय पर खाना न मिलने, कमरे में बंद रखने, फोन छीनकर रखने, कमरे से बाहर न जाने, नौकरानी की तरह काम कराने आदि से गुजरना पड़ा तो उन्होंने किसी तरह इस विषय में अपने परिजनों को अवगत कराया और हैवानियत की हदें तब पार हुई जब नजराना को लेने उनके परिजन गए तो लड़के पक्ष के लोगों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया जिसमें नजराना के भाई आसिफ के सिर में गंभीर चोट आई। वहीं बीच बचाव करने आई आसिफ की मौसी पर भी हमला हुआ जिसमे उनका हाथ फ्रैक्चर हो गया।
अमानवीय व्यवहार से पीड़ित परिवार जब उन असामाजिक तत्वों पर करवाई करने हेतु पुलिस का सहयोग लेने के लिए गया तो आरोप है कि पुलिस ने केवल मुकदमा दर्ज कर लिया और आगे कोई करवाई नही की। साथ ही पुलिस ने आरोपियों से मिलकर मुकदमें को ठंडे बस्ते में डालने और संगीन धाराओं को समाप्त करने का भी प्रयास किया। अब इस संबंध में पीड़ित परिवार के लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही पुलिस अधिकारियों द्वारा आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई तो उनकी जान को खतरा हो सकता है ।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2020 में करीब 7,000 हत्याएं दहेज की वजह से हुईं यानी करीब 19 महिलाएं हर रोज मारी गईं। इसके अलावा 1,700 से ज्यादा महिलाओं ने "दहेज से जुड़े" कारणों की वजह से आत्महत्या कर ली। जानकारों का कहना है कि असली आंकड़े इनसे कहीं ज्यादा हैं। वहीं दहेज प्रथा के कारण लिंग परीक्षण और भ्रूण हत्याओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। लड़कियों को जन्म से पहले मार दिया जाता है।
यह समझा जाता है कि जन्म से पहले 500 रुपए खर्च करना 5 लाख खर्च करने से बेहतर है। साथ ही, लड़के को दहेज लाने वाले ‘एसेट’ की तरह देखा जाता है। वहीं लड़की परिवार पर वित्तीय बोझ मानी जाती है। फ़ीमेल इंफेंटीसाइड वर्ल्डवाइड: द केस फ़ॉर एक्शन बाय द यू एन ह्यूमन राइट्स काउंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में लड़कियों को ‘अनअफॉर्डेबल इकोनॉमिक बर्डन’ के रूप में देखा जाता है जिसके कारण लगभग 117 मिलियन लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है।